में तुमसे इश्क़ करू तो
कैसे बयाँ करू
मगरूर हो चके अल्फ़ाज़
मेरे अब तुम्हारी तरहा।।
चुभते है कांटे उँगलियों में
गहरे इस कदर
तुमने रखा हो मेहफूज खुद को
जैसे गुलाब की तरहा।।
जब भी मिला तुमसे
हासिल हुआ इतना
फूल रखा हो क़िताब में
जैसे एक याद की तरहा।।
मंजिल की दौड़ में
किनारों से दूर जा निकला
गुमनाम रह गया तुझमे
बस एक नाम की तरहा।।
में तुमसे इश्क़ करू तो
कैसे बयाँ करू
मगरूर हो चके अल्फ़ाज़
मेरे अब तुम्हारी तरहा।।
Written by Dev Verma...