कभी अहसास छुट जाते है ||
भीड़ में साथ हो जब भी हम तुम
क्यूँ फिर भी हाथ छुट जाते है ||
वो काट लेता है रातें अपनी
वो काट लेता है अपनी तन्हाई ||
जो हम न करे याद उसे कभी
जो हम न करे फरियाद उससे कभी |
हमारी इबादत टूटती है
कभी हमारे रिवाज़ टूट जाते है ||
कभी लफ्ज़ छुटते है
कभी अहसास छुट जाते है ||
भीड़ में साथ हो जब भी हम तुम
क्यूँ फिर भी हाथ छुट जाते है ||
गुलों सा नम वो भी है
बागवान सा गुलज़ार वो भी है ||
किसी के गीत का मरहम वो
किसी ग़ज़ल में इबारत वो भी है ||
कई परतो में वो लिपटा है
कई आस्मां में वो सिमटा है ||
जो हम ना बिखरे तो उलझे है
जो हम ना सुलझे तो पागल है ||
कई मुददतो से प्यासा है
कभी सेहरा तो कभी समंदर है ||
वो जो भी है सही है
हम जो भी है गलत है ||
कभी हमारे गुमां टूटते है
कभी हमारे हर खयाव टूट जाते है ||
कभी लफ्ज़ छुटते है
कभी अहसास छुट जाते है ||
भीड़ में साथ हो जब भी हम तुम
क्यूँ फिर भी हाथ छुट जाते है ||
Written by Dev Verma
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